TMC सांसद महुआ को फिर मिला बंगला खाली करने का नोटिस, नहीं किया तो जबरन निकाला जाएगा

By: Shilpa Wed, 17 Jan 2024 3:21:07

TMC सांसद महुआ को फिर मिला बंगला खाली करने का नोटिस, नहीं किया तो जबरन निकाला जाएगा

नई दिल्ली। 'कैश फॉर क्वेरी' मामले में सांसदी गंवाने वाली टीएमसी सांसद महुआ को एक बार फिर सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस मिला है। Directorate of Estates की ओर से उन्हें यह नोटिस भेजा गया है। संसद से निलंबन के बाद महुआ मोइत्रा को सरकारी बंगला खाली करने के लिए कई नोटिस दिए गए, लेकिन उन्होंने बंगला खाली नहीं किया। सरकार ने अब उन्हें अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर अब उन्होंने सरकारी बंगला खाली नहीं किया, तो उन्हें जबरन वहां से निकाल बाहर किया जाएगा।

टीएमसी सांसद को महुआ मोइत्रा को सरकारी बंगला खाली करने का अल्टीमेटम मिला है। इसके लिए उन्हें एक और नोटिस भेजा है। नोटिस में स्पष्ट है कि अगर वो बंगला खाली नहीं करती हैं, तो उनके खिलाफ बल का इस्तेमाल कर जबरन बंगला खाली करवाया जाएगा।

क्या हैं नियम

दरअसल, संसद से निलंबन के बाद महुआ मोइत्रा को सरकारी बंगला खाली करने के कई नोटिस मिल चुके हैं। इसके बाद भी वह सरकारी बंगला खाली नहीं कर रही हैं। नोटिस में कहा गया है कि संसद सदस्यता छिनने के बाद अब वे इस बंगले की पात्र नहीं रहीं। नियम के मुताबिक, उन्हें 9B टेलीग्राफ लेन का टाइप पाँच बंगला खाली करना होगा। बंगला खाली करने के लिए उन्हें एक महीने का समय दिया गया था। उन्होंने इस बीच कोर्ट का भी सहारा लिया था, लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली।

जबरन निकालकर बाहर किया जाएगा

नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि महुआ सरकारी बंगला तुरंत खाली कर दें। महुआ मोईत्रा को सरकारी बंगला खाली करने के कई नोटिस दिए जा चुके हैं। इसी बीच ताजा नोटिस में कहा गया है कि अगर अब बंगला खाली नहीं किया तो उनको वहां से बेदखल कर दिया जाएगा। जरूरत पड़ने पर इसके लिए ताकत का इस्तेमाल भी किया जाएगा। दरअसल, सदस्यता जाने के बाद एक महीने के समय की सीमा खत्म होने के बाद 7 जनवरी को आवंटन रद्द कर दिया गया था।

एक महीने के अंदर करना होता है सरकारी बंगला खाली

टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को टेलीग्राफ लेन पर संसद के तौर पर सरकारी बंगला मिला था। कैश फॉर क्वेरी मामले में दोषी पाए जाने पर महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता चली गई थी। कानून के हिसाब से संसद सदस्यता जाने के एक महीना तक ही सांसद सरकारी आवास रख सकते हैं। इसके बाद उन्हें बंगला खाली करना पड़ता है। संशोधित अधिनियम के मुताबिक, संपदा अधिकारी सरकारी आवास से अनधिकृत लोगों की बेदखली से पहले तीन दिनों का कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है। इससे पहले यह अवधि 60 दिन की थी।

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